पनामा नहर प्रशासक ने ट्रंप के बयान को किया ख़ारिज, ‘चीनी हस्तक्षेप से मुक्त व सभी के व्यापार के लिए खुली है’

वाशिंगटन।

डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद से दुनियाभर में पनामा नहर का मामला चर्चा में है। अब पनामा नहर के प्रशासक ने साफ कर दिया है कि पनामा नहर के अमेरिका कब्जे में जाने की कोई संभावना नहीं है और नहर का प्रशासन पनामा के हाथों में ही रहेगा।

साथ ही उन्होंने उन दावों को भी खारिज कर दिया कि चीन नहर के संचालन को नियंत्रित कर रहा है। पनामा के नहर के प्रशासक रिकौर्टे वास्केज ने कहा कि पनामा नहर सभी देशों के लिए खुली रहेगी। रिकौर्टे वास्केज ने नहर पर चीन के नियंत्रण के दावों पर कहा कि नहर के दोनों छोर पर बंदरगाहों में काम करने वाली चीनी कंपनियां हांगकांग की है और उन्होंने साल 1997 में बोली प्रक्रिया में यह अधिकार हासिल किया था। उन्होंने कहा कि अमेरिकी और ताइवान की कंपनियां नहर के किनारे के अलावा अन्य बंदरगाहों का भी संचालन कर रही हैं। पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि नहर का प्रशासन पनामा के हाथों में ही रहेगा।

अमेरिका को पनामा नहर का नियंत्रण देने से इनकार
अमेरिका के पनामा नहर पर कब्जा करने की आशंका पर वैस्केज ने कहा कि 'इस तरह की उम्मीद का कोई आधार नहीं है। मैं बस यही कह सकता हूँ।' वैस्केज ने इस बात पर जोर दिया कि पनामा नहर सभी देशों के व्यापार के लिए खुली है। वैस्केज ने कहा कि तटस्थता संधि के कारण पनामा नहर प्रशासन अमेरिकी ध्वज वाले जहाजों को विशेष सुविधा नहीं दे सकता। स्थापित नियमों के तहत ही नहर का संचालन होगा। उन्होंने कहा कि नहर संचालन की प्रक्रिया स्पष्ट है और इसमें मनमाने बदलाव नहीं हो सकते। पनामा और अमेरिका के बीच की संधि में एकमात्र अपवाद अमेरिकी युद्धपोतों को तुरंत मार्ग देने का नियम ही है।

ज्यादा शुल्क के आरोपों को लेकर दी ये सफाई
डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा नहर पर लगने वाले शुल्क को बहुत ज्यादा बताया था। इस पर वैस्केज ने कहा कि शुल्क में कोई भेदभाव नहीं है। शुल्क बढ़ने पर वैस्केज ने कहा कि नहर अपने लॉक को संचालित करने के लिए जलाशयों पर निर्भर करती है, लेकिन पिछले दो वर्षों के दौरान सूखे से जलाशय बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। जिसके कारण जहाजों को पार करने के लिए दैनिक स्लॉट की संख्या में काफी कमी करनी पड़ी है। कम जहाजों की संख्या की वजह से प्रशासकों ने स्लॉट आरक्षित करने के लिए फीस बढ़ा दी है। पनामा नहर की वजह से जहाजों को केप हॉर्न के आसपास लंबी और महंगी यात्रा से मुक्ति मिलती है।

ट्रंप ने कही थी नहर पर कब्जे की बात
डोनाल्ड ट्रंप ने बीते दिनों पनामा नहर को लेकर कहा था कि अगर पनामा स्वीकार्य तरीके से पनामा नहर का प्रबंधन नहीं करता है तो फिर अमेरिका फिर से इस पर अपना कब्जा कर सकता है। उन्होंने कहा था कि हम पनामा नहर को 'गलत हाथों' में नहीं जाने देंगे। ट्रंप का इशारा चीन की तरफ माना जा रहा था। उन्होंने लिखा था कि पनामा नहर का प्रबंधन चीन के द्वारा नहीं किया जाना चाहिए। ट्रंप ने पनामा नहर पर कब्जे को लेकर सैन्य शक्ति के इस्तेमाल से भी इनकार नहीं किया। पनामा नहर से अमेरिका का 70 फीसदी समुद्री यातायात गुजरता है और रणनीतिक रूप से भी यह अमेरिका के लिए अहम है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने तटों के बीच वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों की आवाजाही को सुविधा जनक बनाने के 1900 के दशक की शुरुआत में पनामा नहर का निर्माण किया था। वॉशिंगटन ने साल 1977 में हुई एक संधि के तहत 31 दिसंबर, 1999 को पनामा नहर पर अपना नियंत्रण छोड़कर पनामा को इसका नियंत्रण दे दिया था।

India Edge News Desk

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